जकार्ता। भारतीय नौकायन खिलाडिय़ों ने 18वें एशियाई खेलों में चौकड़ी स्कल्स में ऐतिहासिक गोल्ड और दो ब्रॉन्ज पदक जीतकर छठे दिन की शानदार शुरुआत की । भारतीय नौकायन खिलाडिय़ों ने गुरुवार के खराब प्रदर्शन की भरपाई की जब चार पदक के दावेदार होते हुए भी उनकी झोली खाली रही थी। साधारण परिवारों से आये सेना के इन जवानों ने सैनिकों का कभी हार नहीं मानने वाला जज्बा दिखाते हुए जीत दर्ज की। भारतीय टीम में स्वर्ण सिंह, दत्तू भोकानल, ओम प्रकाश और सुखमीत सिंह शामिल थे जिन्होंने पुरूषों की चौकड़ी स्कल्स में 6:17.13 का समय निकालकर पीला तमगा जीता। भोकानल गुरुवार को व्यक्तिगत वर्ग में नाकाम रहे थे। स्वर्ण और प्रकाश भी पुरूषों के डबल स्कल्स में पदक से चूक गए थे। लेकिन इन सभी ने 24 घंटे के भीतर नाकामी को पीछे छोड़कर इतिहास रच डाला। भारतीय टीम के सीनियर सदस्य स्वर्ण सिंह ने कहा, ‘कल हमारा दिन खराब था लेकिन फौजी कभी हार नहीं मानते। मैने अपने साथियों से कहा कि हम स्वर्ण जीतेंगे और हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह करो या मरो का मुकाबला था और हम कामयाब रहे। मेजबान इंडोनेशिया दूसरे और थाइलैंड तीसरे स्थान पर रहा। इससे पहले भारत ने नौकायन में दो ब्रॉन्ज मेडल भी जीते। रोहित कुमार और भगवान सिंह ने डबल स्क्ल्स में और दुष्यंत ने लाइटवेट सिंगल स्कल्स में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। रोहित और भगवान ने 7:04. 61 का समय निकालकर कांस्य पदक जीता। जापान की मियाउरा मायायुकी और ताएका मासाहिरो ने स्वर्ण और कोरिया की किम बी और ली मिन्ह्यूक ने रजत पदक हासिल किया। इससे पहले दुष्यंत ने इन खेलों में भारत को नौकायन का पहला पदक दिलाकर पुरुषों की लाइटवेट सिंगल स्कल्स में तीसरा स्थान हासिल किया। आखिरी 500 मीटर में वह इतना थक गए थे कि स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा। वह पदक समारोह के दौरान ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। दुष्यंत ने कहा, ‘मैने ऐसे खेला मानो यह मेरी जिंदगी की आखिरी रेस हो। यही मेरे दिमाग में था। शायद मैने कुछ ज्यादा मेहनत कर ली । मुझे सर्दी जुकाम हुआ था जिससे रेस पर भी असर पड़ा। मैने बस दो ब्रेड और सेब खाया था। मेरे शरीर में पानी की कमी हो गई थी।यह एशियन गेम्स के रोइंग में भारत का सिर्फ दूसरा गोल्ड मेडल है। बजरंग लाल ठाकर ने 2010 के सिंगल्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। इसके अलावा भारत ने पुरुषों के लाइटवेट और डबल स्कल में ब्रॉन्ज मेडल जीते। दुष्यंत ने लाइटवेट सिंगल स्कल्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वहीं रोहित कुमार और भगवान सिंह ने लाइटवेट डबल्स स्क्ल्स में कांस्य पदक जीता। दुष्यंत ने 2014 के एशियन गेम्स के सिंगल स्कल्स में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था। भारत ने इससे पहले लाइटवेट डबल स्कल्स में 1990 और 2006 में ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। दुष्यंत ने 7:18.76 ने साउथ कोरिया के पार्क ह्यूनसू और हॉन्ग कॉन्ग के चिउ हिन चुन के बाद फिनिश किया। डबल स्कल्स टीम ने 7:04.61 का वक्त लिया। इस इवेंट में जापान ने गोल्ड और साउथ कोरिया ने सिल्वर जीता।
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